Tuesday, February 21, 2012

करके दिन रात बन्दगी खुदा से

करके दिन रात बन्दगी खुदा से ||
मांगी  अपनी ज़िन्दगी खुदा से ||
 

डर कैसा है मौत का अब हमें ,
जब है अपनी दोस्ती खुदा से ||
 

इस उम्मीद पर जिन्दा रहे हम
कि वस्ल होगा लाज़मी खुदा से ||
 

छोड़ खुदा को पूजें आदमी को ,
अब ऊंचा हुआ आदमी खुदा से ||
 

बख्श दी है हस के "नजील" हमको,
मांगी थी जो सादगी खुदा से

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