Wednesday, February 29, 2012

निभाएगी साथ उल्फत जब तलक उनकी ||

जुदाई के नाम आँखे आई छलक उनकी ||
दर्द के अहसास से खुद-ब-खुद झुकी पलक उनकी ||


कभी हारेंगे नहीं हम अपने  दुश्मन ज़हां से ,
निभाएगी साथ उल्फत जब तलक उनकी ||


खुदा जाने ,हाल होगा उनका भी अपने जैसा ,
जिस तरह हम तरसते हैं पाने को झलक उनकी ||


बहाएं अश्क शब् की तन्हाई में बैठ कर वो ,
सुनाए है दास्ताँ अक्सर हमको फलक उनकी ||


"नजील" अब्र भी शर्माए है देखकर ये नज़ारा ,
घटा बन के आसमां पे छाई जो अलक उनकी ||

2 comments:

  1. आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.com
    चर्चा मंच-805:चर्चाकार-दिलबाग विर्क>

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  2. ....बहुत सुन्दर लिखा है आपने !!!

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